Daughter-in-law’s Rights : सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, जानिए बहू के कौन से अधिकार को नहीं छीन सकते ससुराल वाले
बेटी को पिता की संपत्ति में बेटे के बराबर का अधिकार दिया गया है, यह बात हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बहू का ससुराल की संपत्ति या उस घर में कितना अधिकार है? इस महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में छिपा है, और यह अधिकार बेटी की विवादों के समय बड़ा महत्वपूर्ण हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के एक पूर्व फैसले को पलटते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि बहू से ससुराल के साझे घर में रहने का हक नहीं छीना जा सकता है। अदालत ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के तहत त्वरित प्रक्रिया अपनाकर किसी महिला को घर से नहीं निकाला जा सकता। इससे ससुराल वालों को बहू को घर से निकालने के लिए और मुद्दों को अधिक संविदानिक तरीके से हैंडल करने की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
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उच्च न्यायालय ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा कानून, 2005 (पीडब्ल्यूडीवी) का उद्देश्य महिलाओं को ससुराल के घर या साझे घर में सुरक्षित आवास मुहैया कराना एवं उसे मान्यता देना है, भले ही साझा घर में उसका मालिकाना हक या अधिकार न हो। यह फैसला बहू को ससुराल के घर में रहने का हक प्रभावित होने से नहीं आया, बल्कि उसके महिला अधिकारों के प्रति हमारे समाज की जिम्मेदारी को दरकिनार किया गया है।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 17 सितंबर, 2019 के फैसले में कहा था कि जिस परिसर पर मुकदमा चल रहा है, वो वादी की सास (दूसरी प्रतिवादी) का है और वादी की देखभाल और कल्याण तथा वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के प्रावधानों के तहत आवेदन दायर किया था। इसका मतलब है कि ससुराल वालों को बहू को घर से निकालने के लिए पहले से ही ठीक से समझना चाहिए कि उनके पास इसके लिए आधिकार नहीं है, और महिलाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के महत्व को समझना चाहिए।
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अब हम बात करेंगे कि बहू का ससुराल की संपत्ति में कितना अधिकार हो सकता है। देश के कानून के तहत मां-बाप द्वारा स्व-अर्जित संपत्ति पर बेटों का अधिकार होता है, और वे माता-पिता की खुद बनाई प्रोपर्टी पर अपने अधिकार का दावा कर सकते हैं। वहीं बहू सास-ससुर द्वारा अर्जित संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती है, और बहू का ऐसी संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती है। इसका मतलब है कि बहू को ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता है, और यह संपत्ति सिर्फ ससुराल के मालिकों की होती है।
हालांकि, पति की पैतृक संपत्ति पर बहूओं का अधिकार दो तरीके से हो सकता है। पहले, अगर पति संपत्ति का अधिकार बहू को ट्रांसफर कर देता है, तो इस स्थिति में बहू का अधिकार उस पर हो सकता है। दूसरे, पति के निधन के बाद भी बहू का अधिकार संपत्ति पर हो सकता है। इसका मतलब है कि बहू को अपने पति की संपत्ति के हिस्से का अधिकार हो सकता है, लेकिन ससुराल की संपत्ति में वह कोई हिस्सा नहीं मांग सकती। यह संज्ञान में रखना महत्वपूर्ण है कि कौनसी संपत्ति किसकी है और उस पर कौनसा अधिकार है, ताकि सभी के अधिकारों का सम्मान किया जा सके।
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