क्या मालदीव और श्रीलंका के बाद भूटान भी बढ़ा सकता है भारत की टेंशन?
भूटान और चीन के बीच हाल ही में बीजिंग में सीमा विवाद को लेकर 25वें दौर की बातचीत संपन्न हुई जिसके बाद दोनों के बीच सीमांकन की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने को लेकर सहमति बन गई है। इस दौरान, दोनों ने “रेस्पॉन्सिबिलिटीज़ एंट फंक्शन्स ऑफ़ द जॉइंट टेक्निकल टीम ऑन डीलिमिटेशन एंड डीमार्केशन ऑफ़ द भूटान-चाइना बाउंड्री” पर सहयोग को लेकर एक समझौते पर भी दस्तखत किए गए।

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर सुहासिनी हैदर लिखती हैं कि ये साल 2021 में सीमा निर्धारण को लेकर शुरू उनके तीन चरण के रोडमैप को आगे बढ़ाता है। ये बातचीत 2016 से रुकी हुई थी। इस बातचीत में भूटान को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपनी संप्रभुता बरकरार रखे, लेकिन साथ ही भारत के हितों का भी ध्यान रखे। वो लिखती हैं कि सात साल के लंबे अंतराल के बाद चीन और भूटान में एक बार फिर सीमा के लेकर बातचीत आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है।
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भूटान-चीन सीमा विवाद: पिछली बातचीत से आगे की प्रक्रिया
भूटान की सीमा उत्तर और पश्चिम में तिब्बत स्वशासित प्रदेश से मिलती है। सीमा विवाद सुलझाने के लिए भूटान और चीन के बीच 1984 से लेकर 2016 तक 24 दौर की बातचीत हो चुकी थी, लेकिन 2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सेना के बीच पैदा हुए तनाव और फिर कोविड महामारी के कारण 25वें दौर की बातचीत नहीं हो सकी थी।
चीन की तरफ़ से भूटान के पूर्व में नया फ्रंट खोलने की धमकी के बाद दोनों के बीच अलग-अलग स्तर पर बातचीत को जारी रखा गया।
2021 में दोनों मुल्कों के राजनयिकों के एक्सपर्ट ग्रुप की मुलाक़ात हुई और दोनों में तीन चरण के रोडमैप पर सहमति बनी। इसके बाद 2023 में सीमांकन के लिए तकनीकी टीम की बैठक हुईद हिंदू लिखता है कि क़रीब एक महीना पहले हुई बातचीत के बाद जिसमें पुराने नक़्शे दिखाए गए थे, इसके बाद अब इस टेक्निकल टीम की मीटिंग हुई है जिसमें तकनीकी दिशाओं पर बातचीत की गई।
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सीमांकन क्या है?
सीमांकन एक क्षेत्र की सीमा को स्पष्ट और विशिष्ट रूप से निर्धारित करने की प्रक्रिया होती है। यह सीमा कितनी लंबी होगी, कहाँ से शुरू होगी, और कहाँ पर समाप्त होगी, इसे तय करने की प्रक्रिया होती है।
सीमांकन प्रक्रिया दो पक्षों के बीच सीमा के निर्धारण को स्पष्ट करने के लिए होती है जो दोनों पक्षों की सहमति और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है कि दोनों पक्षों के बीच किस क्षेत्र की सीमा होनी चाहिए, जिससे विवादों का समाधान हो सके
सीमांकन प्रक्रिया में विभिन्न तकनीकी, नैतिक, और खास विचारों को ध्यान में रखा जाता है ताकि सीमा निर्धारण समझदारी और समर्पण के साथ हो सके।
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