India-China Business: चीन के साथ व्यापार में आई कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था की चिंता बढ़ी, जानिए अब क्या करेगी सरकार
भारत चीन व्यापार घाता: चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल के बीच, नीति आयोग इस समस्या के समाधान के लिए कार्य योजना तैयार करेगा।
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भारतीय अर्थव्यवस्था की उम्मीदें:
भारत पिछले कुछ सालों में दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है, और यह अवस्था आने वाले सालों में भी जारी रहने की उम्मीद है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विश्व बैंक के द्वारा इस बढ़ती अर्थव्यवस्था को समर्थन दिया जा रहा है।
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भारत की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आकर्षण:
भारत चालू वित्त वर्ष (2023-24) में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, जैसा कि वित्त मंत्रालय की सितंबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति तेज रहेगी।
बाहरी कारकों का प्रभाव:
दुनिया भर में चल रहे गतिविधियों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ आलोचनात्मक असर हो सकता है, लेकिन इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रमुख प्रभाव कम होने की संभावना है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि भारत में संपत्ति बाजार की सुदृढ़ता, औद्योगिक क्षमता में सुधार, और घरेलू खर्च की वृद्धि। इसके अलावा, निवेश की मांग भी बढ़ रही है जो अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान कर सकता है।
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भारत की अर्थव्यवस्था की बढ़ती महत्वपूर्णता:
वर्तमान में, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले सालों में इसका आकार और भी बढ़ने की संभावना है। अनुमानित ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) के हिसाब से, 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके साथ ही, यह आशा की जा रही है कि भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है व्यापार, और इस मोर्चे पर हमारे लिए एक महत्वपूर्ण पहलू चीन को लेकर है। अतीत में भी चीन के साथ हमारे संबंध उतने अच्छे नहीं रहे हैं, परंतु पिछले कई सालों से चीन, भारत का बेहद महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार रहा है। गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों में कड़वाहट बढ़ गई, लेकिन इसके बावजूद भारत का चीन के साथ व्यापारिक संबंध मज़बूत बना हुआ है। इसी का परिणाम है कि चीन वर्तमान में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
यदि हम इस मुद्दे पर ध्यान दें कि दो साल पहले तक पायदान पर अमेरिका ही था, तो हालांकि अब भी अमेरिका हमारा महत्वपूर्ण संबंध है, चीन ने भारत के साथ व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका बनाई है। व्यापार के क्षेत्र में इन दोनों बड़े देशों के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं, और यहाँ हम चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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चीन से आयात पर निर्भरता चिंताजनक
व्यापार क्षेत्र में चीन के साथ बढ़ता घाटा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चिंता का कारण है। जब हम अमेरिका के साथ व्यापार को देखते हैं, तो भारत निर्यात करता है और आयात कम करता है, जबकि चीन के साथ स्थिति बिल्कुल विपरीत है। हम चीन से जितना निर्यात करते हैं, उसकी तुलना में क़रीब सात गुना अधिक हम चीन से आयात करते हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव
“वास्तविक नियंत्रण रेखा” यानी LAC पर तनाव बढ़ते हुए, द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार घाटा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रम
णों के बाद, भारत ने चीन के साथ व्यापार के कुछ क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए हैं, जैसे कि टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स। इसका परिणाम है कि चीन से आयात कम हो गया है, लेकिन यह भारतीय उत्पादों के मूल्यों को बढ़ा दिया है और यह भीख और दरियादिली की बजाय आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर कर रहा है।
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भारत के व्यापारिक संबंध: विशेषाधिकार और संकट
व्यापार क्षेत्र में दोनों देशों के बीच चुनौतियों के बावजूद, चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साथी बन गया है। हम चीन से विभिन्न उत्पादों का आयात करते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, और मशीनरी, और चीन से हम उत्पादों की आयात करते हैं जो वाणिज्यिक उपयोग में आते हैं।
सारांश
चीन व्यापार में भारत का महत्वपूर्ण साथी है, लेकिन व्यापारिक संबंधों में विशेषाधिकार और संकट हैं। व्यापार क्षेत्र में चुनौतियों के बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापार का मामूला बढ़ रहा है, और यह दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है। भारत को चीन के साथ व्यापार में नियमितता बनाए रखने के लिए नियंत्रण और सुरक्षा के मामलों को संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध सुरक्षित और स्थिर रह सकें।
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