India-Canada: कनाडाई कॉलेजों में 80% स्टूडेंट्स हैं भारतीय, अगर ये छात्र नहीं पहुंचे तो कॉलेज का खर्च कैसे निकलेगा
कनाडा की शिक्षा और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स का महत्व
कनाडा और भारत के बीच विपक्षी तनाव के बीच, कनाडा जाने की तैयारी कर रहे भारतीय स्टूडेंट्स में घबराहट बढ़ गई है। इसके विपरीत, कनाडा के कई महत्वपूर्ण कॉलेजों में भारतीय स्टूडेंट्स की भरपूर उपस्थिति है। इन कॉलेजों में भारतीय स्टूडेंट्स की छात्र संख्या 70 से 80 प्रतिशत है।
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भारतीय स्टूडेंट्स द्वारा अदा की जाने वाली फीस का योगदान कॉलेज की कुल फीस के 55 से 72 प्रतिशत तक हो रहा है। यदि किसी भी सत्र में भारतीय स्टूडेंट्स का प्रवेश नहीं होता है, तो ये कॉलेज एक सत्र के लिए भरपूर वित्तपोषण जुटाने में असमर्थ हो सकते हैं।

कनाडाई कॉलेजों में भारतीय स्टूडेंट्स ज्यादा
कनाडा के कॉलेजों में 4,000 स्टूडेंट्स की संख्या वाले नार्दर्न कॉलेज प्रमुख है, जिसमें सिर्फ 833 कनाडियन स्टूडेंट्स हैं, और बाकी 3,353 स्टूडेंट्स भारतीय हैं। अन्य प्रमुख कॉलेजों में भी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की हिस्सेदारी 65 से 75 प्रतिशत है, और यह आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं।
कनाडियन इमिग्रेशन मामलों पर नजर रखने वाले गगन कंवल का कहना है कि इस समय कनाडियन कॉलेजों में ज्यादा घबराहट है। वही समय, कनाडा सरकार पर भी दबाव है कि किसी भी तरीके से भारतीय स्टूडेंट्स की आगमन को नहीं रोका जाए।
कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कनाडियन संसद में स्पष्ट रूप से कहा है कि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं और हम उन्हें किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
कनाडा के सिटिजनशिप धारक कॉलेज स्टूडेंट्स से कम फीस की जाती है और इसका अधिकांश हिस्सा कनाडा सरकार के सब्सिडी के तौर पर दिया जाता है। इसके बावजूद, भारतीय और अन्य इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को इस तरह की सब्सिडी का लाभ नहीं मिलता है।
हर साल लगभग 2 लाख छात्र भारत से कनाडा आते हैं, और इनकी फीस के रूप में कनाडा को लगभग 75,000 करोड़ रुपए मिलते हैं। कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है, और वे कनाडा की इकोनॉमी में फुटकर काम, हॉस्पिटैलिटी, और रिटेल सेक्टर में काम करते हैं।
कनाडा ने हाल ही में अमेरिका के H1B वीजा धारक भारतीयों को ओपन वर्क परमिट जारी किया है, और यह कनाडा के ड्रीम प्रोजेक्ट को विकसित करने के लिए है, जिसका उद्देश्य अमेरिका की सिलिकॉन वैली की तर्ज पर है। यह इसे साबित करता है कि भारतीयों का योगदान महत्वपूर्ण है।
इस नए ओपन वर्क परमिट पर काम की शुरुआत इस साल होगी, और कनाडा ने चीन के प्रोफेशनल्स की जगह भारतीयों को इसमें तरजीह दी है। भारतीय रवैए से कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सख्त बयान दिया है और इस तरह की चुनौतियों से बच रहे हैं।
भारतीय समुदाय की चार मुख्य क्षेत्रों में अपने नजरअंदाज नहीं कर सकता कनाडा
- प्रॉपर्टी: कनाडा में प्रवासियों में सबसे ज्यादा भारतीय प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं। चीन दूसरे नंबर पर है। भारतीय निवेशक हर साल वैंकूवर, ग्रेटर टोरंटो, ब्रैम्पटन, मिसिसागा, और ब्रिटिश कोलंबिया, ओंटारियो में लगभग 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश करते हैं।
- स्मॉल बिजनेस: भारतीय समुदाय के सदस्य स्मॉल बिजनेस जैसे ग्रॉसरी स्टोर, रेस्तरां, और सर्विसेज में करीब 70,000 करोड़ रुपए का निवेश कर रहे हैं। ओंटारियो प्रांत में स्मॉल बिजनेस सबसे ज्यादा हैं।
- ट्रैवल: 20 लाख भारतीयों की स्वदेश वापसी और परिवारजनों को कनाडा का टूर कराने पर लगभग 60,000 करोड़ रुपए यहां की विभिन्न ट्रेवल एजेंसियों को मिलते हैं। 2022 में कनाडा से 1.10 लाख भारतीयों ने भारत की यात्रा की।
- पब्लिक सर्विसेज: कनाडा की प्रांतीय सरकारों की ओर से चलाए जाने वाली हाउस कीपिंग और मेनटेनेंस में भारतीय मुदाय करीब 1,000 करोड़ की सेवाएँ देते हैं।
- आईटी और रिसर्च: भारतीय कंपनियां कनाडा में मई 2023 तक 41,000 करोड़ रुपए का निवेश करके 17,000 नौकरियां दे चुकी हैं, जैसा कि CII की एक रिपोर्ट ने बताया है।
Canada-India News: भारत-कनाडा विवाद के बीच आये अमेरिका और ब्रिटेन
कनाडा और भारत के बीच के संबंध समृद्धि की दिशा में हैं, और भारतीय स्टूडेंट्स की भूमिका का महत्व यहां के सोशल और आर्थिक विकास में बढ़ता ही जा रहा है।
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