इसराइली सेना गाजा मे दाखिल होने में क्यू कर रही देर ?

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इसराइली सेना गाजा मे दाखिल होने में क्यू कर रही देर ?

बीते कुछ दिनों से इसराइल बार-बार इस बात के संकेत देता रहा है कि उसकी पैदल सेना ग़ज़ा के भीतर घुसने जा रही है. लेकिन अब तक यह हकीकत नहीं बनी है. इसराइली सेना के ग़ज़ा में दाख़िल होने के बारे में कई सवाल और चिंताएं हैं, जिनका हम इस लेख में विचार करेंगे.

इसराइली सेना गाजा मे दाखिल होने में क्यू कर रही देर ?
इसराइली सेना गाजा मे दाखिल होने में क्यू कर रही देर ?

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सेना का मकसद है – हमास का हमेशा के लिए ख़ात्मा

इसराइली सेना का मुख्य मकसद है हमास नामक संगठन का सशक्त उन्मूलन करना और इसे अटकाना है. सात अक्तूबर को इसराइल पर हुए हमले में कम से कम 1200 इसराइली मारे गए थे और उसके बाद से इसराइल ग़ज़ा शहर पर बमबारी कर रहा है.

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इसराइल की सैनिक तैयारी

इसराइल ने तीन लाख रिज़र्व सैनिकों को ड्यूटी पर बुलाया गया है जो इस दुर्भाग्यपूर्ण संघर्ष में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं. इसराइल की वायु सेना और नेवी ग़ज़ा में हमास और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद के ठिकानों पर कई दिनों से लगातार बम बरसा रहे हैं, जिसमें हज़ारों फ़लस्तीनी मारे गए हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं.

अमेरिका का दबाव

अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन का इसराइल के दौरे पर पहुँचना इस बात का संकेत है कि व्हाइट हाउस पश्चिमी एशिया में बिगड़ते हालात से ख़ासा चिंतित है.

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अमेरिका की दो बड़ी चिंताएं हैं – बेकाबू होता मानवीय संकट और संघर्ष के पूरे मध्य-पूर्व में फैलने का डर. अमेरिका ने पहले ही ग़ज़ा पर इसराइल के दोबारा कब्ज़ा करने का विरोध कर दिया है. साल 2005 में इसराइल ने ग़ज़ा पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया था.

ईरान फ़ैक्टर

बीते कुछ दिनों से ईरान ने बार-बार कहा है कि ग़ज़ा पर इसराइली हमले का जवाब दिया जाएगा. हक़ीक़त में इन धमकियों के क्या मायने हैं? ईरान मध्य-पूर्व में शिया चरमपंथियों को ट्रेनिंग, हथियार और फंड्स देता है और एक हद तक ईरान इन गुटों परनियंत्रण भी रखता है.

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मानवीय फ़ैक्टर

दुनिया के लिए जो मानवीय संकट की परिभाषा है वो इसराइल के लिए थोड़ी अलग है, ख़ासकर ग़ज़ा और हमास के विषय में. लेकिन जैसे-जैसे फ़लस्तीन में आम लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है, हमास की सात अक्तूबर की बर्बरता के बजाय ध्यान इसराइल की ओर जा रहा है.

ख़ुफ़िया तंत्र की विफलता

इसराइल की ख़ुफ़िया तंत्र के लिए बीता एक महीना बुरे ख़्वाब सा रहा है. शिन बेत का ग़ज़ा के भीतर ख़बरियों और जासूसों का जाल-सा है और इन्हीं ख़ुफ़िया एजेंसियों की विफलता के बारे में भी सवाल उठ रहे हैं.

बीते दस दिनों में इसराइली ख़ुफ़िया तंत्र उसी चूक की भरपाई का प्रयास कर रहा होगा. इनकी नज़र फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद नामक गुट पर भी रहती है.

इसके बावजूद, जो सात अक्तूबर को हुआ उसे साफ़ तौर पर इसराइल की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस विफलता कहा जा सकता है. बीते दस दिनों में इसराइली ख़ुफ़िया तंत्र उसी चूक की भरपाई का प्रयास कर रहा होगा.

इसराइली सेना ग़ज़ा में घुसने के बाद हमास के जाल में फंसना तो बिल्कुल नहीं चाहेगी. सेना ग़ज़ा में गई तो इसराइली सैनिक भी मरेंगे. उनपर घात लगाकर हमले किए जाएंगे, स्नाइपर निशाने पर लेंगे, बारुदी सुरंगों का इस्तेमाल होगा. और ग़ज़ा में फैली सैकड़ों किलोमीटर लंबी सुरंगें इसराइल के लिए मुसीबत बन सकता है. लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि अधिकतर नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ेगा.

ख़ुफ़िया एजेंसियों को जानकारी एकत्रित करनी होगी

ख़ुफ़िया एजेंसियों को इनकी सटीक जानकारी इसराइली सेना को देनी होगी ताकि वो घात लगाकर किए जाने वाले हमलों से बच सकें.

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