Diwali 2023: जानिए कितनी देर तक रहेगा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, साथ ही पूजा की सही विधि भी

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Diwali 2023: जानिए कितनी देर तक रहेगा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, साथ ही पूजा की सही विधि भी

दिवाली, भारतीयों के लिए सबसे धमालदार और प्यारा त्योहार है। इस त्योहार के दिन देश भर में लोग खुशियों के साथ मनाते हैं और अपने घरों को दीपों से रौशनी से भर देते हैं। इसके साथ ही, मां लक्ष्मी की पूजा का भी महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही हमारे घर में धन और समृद्धि आती है।

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Diwali 2023: जानिए कितनी देर तक रहेगा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, साथ ही पूजा की सही विधि भी
Diwali 2023: जानिए कितनी देर तक रहेगा लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, साथ ही पूजा की सही विधि भी

इस वर्ष, दीपों का त्योहार, दीपावली, 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन शाम के समय मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी, और साथ ही श्री गणेश और कुबेर जी की भी पूजा की जाएगी। लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता है, जबकि कुबेर जी को धन का देवता माना जाता है। इसलिए, इन तीनों देवताओं की पूजा से घर में धन की वृद्धि होती है।

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इस दिन के लिए पूजा का सही मुहूर्त होता है और यह सही मुहूर्त हमारे जीवन में खुशियों की बरसात लेकर आता है। इस साल काशी में अभिजित मुहूर्त 12 नवंबर को सुबह 11:20 से दोपहर 12:04 तक रहेगा। इसके बाद, प्रदोष काल में वृष लग्न में भी पूजा की जा सकती है, जो कि 12 नवंबर को शाम 5:33 से 7:19 तक रहेगी। इसके बाद, द्विस्वभाव लग्न भी 12 नवंबर को शाम 7:19 मिनट से 9:23 तक रहेगा।

यदि आप अमृत की चौघड़िया का ध्यान रखते हैं, तो इसका सही समय भी है, जो कि 12 नवंबर को शाम 6:46 से रात 8:25 तक रहेगा। इस समय अमृत की चौघड़िया में पूर्व की बजाय उत्तर मुखी होकर पूजा करना चाहिए।

आपके लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है कि महानिशीथकाल भी 12 नवंबर को है, जो कि रात 11:16 से रात 12:09 मिनट तक रहेगा। सिंह लग्न भी इस दिन होगा, जो कि 12 नवंबर को रात 11:51 से रात 2:05 मिनट तक रहेगा।

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लक्ष्मी पूजा के लिए सही समय है 12 नवंबर को शाम 5:33 से 7:19 तक। इस समय पूजा का सुखद अनुभव होता है और विशेष रूप से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

लक्ष्मी पूजा की विधि में सबसे पहले आपको उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके वहां पर लकड़ी का पाटा बिछाना है। कुछ लोग उस जगह की दिवार को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगते हैं। इसके लिए खड़िया या सफेद मिट्टी और गेरु का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पूजा स्थल की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। लकड़ी का पाटा बिछाने के बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाना है, और फिर लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर जी की स्थापना करनी है। ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए।

वहीं, दिवाली की पूजा के लिए कुछ लोग सोने की मूर्ति रखते हैं, कुछ लोग चांदी की, तो कुछ लोग मिट्टी की मूर्ति या तस्वीर से भी पूजा करते हैं। मूर्ति या तस्वीर के अलावा इस दिन कागज पर बने लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने की भी परंपरा है। इसके बाद, पूजा स्थल को फूलों से सजाना है। साथ ही, पूजा के लिए कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखना है, और दीपक को आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व की तरफ रखना है। लक्ष्मी पूजा में फल-फूल और मिठाई के साथ ही पान, सुपारी, लौंग इलायची और कमलगट्टे का भी बहुत महत्व है। इसके अलावा, धनतेरस के दिन आपने जो भी सामान खरीदा है, उसे भी लक्ष्मी पूजा के समय पूजा स्थल पर जरूर रखें और उसकी पूजा करें।

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इस दिवाली, इन सही मुहूर्तों और विधियों के साथ, आपके घर में धन, समृद्धि, और खुशियों की बरसात हो। दिवाली के इस पवित्र मौके पर मां लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बरसे और आपके जीवन को सफलता और सुखमय बनाए।

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